Join Us for Ganesha Chaturthi
मुग्धा, उसका दस वर्षीय भाई आदित्य और माँ
यह हमारी पसन्दीदा छुट्टियों में से एक है, जिसमें हम साथ आते हैं क्योंकि हम पूज्य देवता के आगमन की तैयारी करते हैं और उत्सव मनाते हैं
मुग्धा शिन्दे, १३ वर्ष
क्युपर्टिनो, कैलीफ़ोर्निया
जब गर्मियाँ समाप्त होती हैं, मेरे घर में गणेश चतुर्थी की योजना बननी शुरु हो जाती है। यह वार्षिक त्यौहार मेरे घर में एक बड़ा उत्सव होता है, जितनी बड़ी दीपावली होती है। इसके दस दिन मेरे घर में अगरबत्ती की महक और आरती के दौरान की घण्टियों की आवाज़, जिसमें दीपक जला कर चढ़ाये जाते हैं, भरी रहती है। जैसे ही आप हमारे घर में घुसेंगे आप प्रसन्न महसूस करेंगे। इस समय हम घर को सजाते हैं, दोस्तों और परिवार से मिलते हैं, मिठाईयाँ खाते हैं, और सबसे महत्वपूर्ण, उस दिन भगवान गणेश की पूजा करते हैं जिस दिन देवी पार्वती ने उन्हें जीवन दिया था। पिछले वर्ष, महामारी के कारण, हमें कुछ उत्सवों को छोटे पैमाने पर मनाना पड़ा, लेकिन इस वर्ष हमने लोगों को हमारे गणेश का दर्शन करने के लिए आमन्त्रित किया, और मैंने इसका बहुत आनन्द लिया।
गणेश चतुर्थी के तीन सप्ताह पहले, मैं सजावट के बारे में सोचना शुरु करती हूँ। अधिकांश लोग उन्हें स्टोर से खरीदते हैं, लेकिन मेरा परिवार उन्हें हाथ से बनाता है। हम फ़ोम बोर्ड की जगह कागड और कार्डबोर्ड का प्रयोग करते और यहाँ तक कि मिट्टी की मूर्ति खरीद के, पर्यावरण के अनुकूल होने की कोशिश करते हैं। गणेश चतुर्थी साल का एक ऐसा समय होता है जब मेरा भाई, मेरी माँ और मैं एक बड़ी कला परियोजना पर काम करते हैं; हमारे घर “गणपति बप्पा” के आने का उत्साह हमें बड़ा लक्ष्य लेने के लिए प्रेरित करता है।
सजावट की प्रक्रिया आमतौर पर मेरे और मेरी माँ के द्वारा इण्टरनेट पर अवधारणा की तलाश, और अपने दिमाग पर ज़ोर देने से शुरु होती है। जब हमारे पास एक अन्तिम प्रारूप होता है, तो हम रंगीन कागज, कार्डबोर्ड, सेक्विन आदि, जैसी चीज़ों को एकत्र करना और खरीदना शुरु करते हैं। मेरी चाची, जो भारत में रहती हैं, कला में बहुत अच्छी हैं, इसलिए वह अपने गणेश करे लिए बहुत मेहनत से सजावट तैयार करती हैं। इस साल, उन्होंने एक कागज का मोर बनाया, और वह पूरी जगह सजायी जहाँ उनकी मूर्ति बैठी थी।
![](https://hinduismtoday.b-cdn.net/wp-content/uploads/2021/12/f0033-01.jpg)
![](https://hinduismtoday.b-cdn.net/wp-content/uploads/2021/12/f0033-01.jpg)
नीली पृष्ठभूमि पर काम करना
![](https://hinduismtoday.b-cdn.net/wp-content/uploads/2021/12/f0033-02.jpg)
![](https://hinduismtoday.b-cdn.net/wp-content/uploads/2021/12/f0033-02.jpg)
मुग्धा की चाची पूजा करते हुए
![](https://hinduismtoday.b-cdn.net/wp-content/uploads/2021/12/f0033-03.jpg)
![](https://hinduismtoday.b-cdn.net/wp-content/uploads/2021/12/f0033-03.jpg)
लगभग पूरी हो चुकी सजावट में और सुधार करना
गणेश चतुर्थी के पहले वाले सप्ताह में, हम असल में सजावट बनाना शुरु कर देते हैं। मेरा भाई और मैंने इस जगह से स्कूल शुरु किया, इसलिए हम ज़्यादातर सजावट का काम सप्ताहान्त में करने की कोशिश करते हैं। कभी-कभी हम काम पूरा करने के लिए रात में ११ बजे तक जागते हैं। और देर रात तक की सभी सजावटों और सप्ताहान्त में योजना बनाने के बाद भी, गणेश चतुर्थी के एक दिन पहले, अन्तिम रूप देते हुए हमें देर तक जागना पड़ता है। इसका एक सटीक उदाहरण पिछला वर्ष था, जब मैंने अन्तिम समय में तय किया कि मैं अपने मन्दिर की सजावट के छत पर एक चाँद लगाना चाहती हूँ, और इस तरह देर तक इसे बनाते हुए जागती रही।
अन्त में, गणेश चतुर्थी आती है। हम शाम को स्टोर जाते हैं और अपने गणपति को घर लाते हैं। हम स्टोर जाने के लिए तैयार होते हैं, और हम बहुत से दूसरे लोगों को भी देखते हैं। गणपति को कार तक लाते समय हम नारा लगाते हैं “गणपति बप्पा मोरया”। घर की यात्रा मेरे परिवार के हमारे गणपति को घर लाने और पूजा करने के उत्साह से भरी होती है। यदि आप उत्साह को देख सकें, तो हमारे कार इससे घिरी हुई होगी।
जब हम घर पहुँचते हैं, मेरे पिता या मैं गणपति को सावधानीपूर्वक दरवाजे तक लाते हैं। जब गणपति को पाट पर रख दिया जाता है, जो एक अस्थायी वेदी होती है, जब मुझे राहत मिलती है, क्योंकि मुझे हमेशा डर लगता है कि ले जाते समय मैं इसे तोड़ दूंगी। तब हम गणपति की पूजा करते हैं और फ़िर आरती गाते हैं। मुझे तीन आरती गाना पसन्द है, न कि केवल गणेश आरती, क्योंकि इससे उत्सव लम्बा चलता है। हालांकि, यह हमेशा सम्भव नहीं होता, क्योंकि मेरे भाई को और मुझे सुबह आरती करने के बाद स्कूल जाना होता है।
हमारे घर पर, हम गणपति को दस दिनों तक रखते हैं। कुछ लोग इन्हें दो दिन, या पाँच दिन रखते हैं। हालांकि, मेरा परिवार, विशेष तौर पर मेरी माँ, सचमुच गणपति के हमारे घर में होने से आनन्दित होती हैं, इसलिए हम इन्हें तब तक रखते हैं जब तक हम रख सकते हैं। पूरे समय, हम एक-दूसरे के गणपति के दर्शन के लिए लोगों के यहां जाते हैं और उन्हें अपने घर आमन्त्रित करते हैं। मुझे गणपति उत्सव के दौरान के सप्ताहांत पसन्द हैं क्योंकि यह वह समय होता है जब हम बहुत से लोगों को देखते हैं। पहले दो दिनों में, हम हर घर जाने की कोशिश करते हैं जहाँ गणपति को सिर्फ़ दो दिनों के लिए रखा जाता है। फ़िर हम उन लोगों के यहाँ जाते हैं जिनके यहाँ गणपति ज़्यादा समय रहते हैं। मुझे लोगों के घर जाना अच्छा लगता है, क्योंकि इससे मुझे दृश्य में परिवर्तन देखने को मिलता है। विशेष तौर पर इस वर्ष, क्योंकि हम लोग एक साल से किसी के यहाँ नहीं गये, और कुछ लोगों ने महामारी के दौरान घर बदला, मुझे कुछ नये घर देख कर खुशी हुई। हमने स्वयं महामारी के दौरान घर बदला, इसलिए लगभग हर बार जब कोई हमारे गणपति को देखने आता था, तो हम भी अपने घर की एक सैर करते थे।
![](https://hinduismtoday.b-cdn.net/wp-content/uploads/2021/12/f0032-03.jpg)
![](https://hinduismtoday.b-cdn.net/wp-content/uploads/2021/12/f0032-03.jpg)
उनके त्यौहार के भोजन में मीठी चपटी रोटी जिसे पूरन पोली कहते हैं ऊपर दायीं और और आमरस जो आम का गूदा होता है, बायीं ओर है, साथ ही महाराष्ट्र के लोगों की पसंदीदा चीज़ें हैं
![](https://hinduismtoday.b-cdn.net/wp-content/uploads/2021/12/f0033-04.jpg)
![](https://hinduismtoday.b-cdn.net/wp-content/uploads/2021/12/f0033-04.jpg)
मोदक मिठाई —जो गणेश को सबसे अधिक पसंद है!
![](https://hinduismtoday.b-cdn.net/wp-content/uploads/2021/12/f0033-05.jpg)
![](https://hinduismtoday.b-cdn.net/wp-content/uploads/2021/12/f0033-05.jpg)
पर्यावरण के प्रति जागरूक मिट्टी के गणेश पानी की बाल्टी में अपनी मूल अवस्था में वापस आ जाते हैं
भोजन त्यौहार के एक बड़ा हिस्सा है। मेरी माँ अक्सर मोदक बनाती हैं, जो मीठे नारियल को भरकर बनाये गये पकौड़े जैसे होते हैं। उन्हें भाप पर बनाया जा भूना जा सकता है, और मेरी माँ त्यौहार के दौरान कई बार उन्हें दो या तीन बार बना देती है। गणेश चतुर्थी पर वह पूरी और मिठाई के साथ रात का खाना काफ़ी बड़ा बनाती हैं। और इस साल, हमने अपने यहाँ आने वाले सभी आगंतुकों के लिए समोसे खरीदे।
जब हमने अपनी दैनिक दिनचर्या में आरती गाना शुरु किया, मैंने वह सभी आरतियाँ दुहराना करना शुरु किया जिन्हें मैंने पिछले वर्षों में याद किया था। दूसरे या तीसरे दिन तक, मैंने सभी आरतियों को फ़िर से याद कर लिया था। मैं चाहती हूँ कि मेरे घर में यह शान्तिमय वातावरण हमेशा बना रहे। सप्ताह तेज़ी से गुजर जाता है, हालांकि, जैसा सभी अच्छी चीज़ों के साथ होता है, गणपति उत्सव भी समाप्त होने लगता है। मैं सोचने लगती हूँ कि त्यौहार के समाप्त होने के बाद कैसा महसूस होगा, दरवाजे की घण्टी कैसे अक्सर नहीं बजा करेगी, कैसे अगरबत्ती की सुगन्ध केवल शाम को रहेगी, और कैसे गणपति की मूर्ति वाली मेज खाली रहेगी।
बहुत जल्द ही दसवां दिन आ जाता है। मैं यह जानते हुए स्कूल जाती हूँ कि हम शाम को गणपति को मूर्ति का विसर्जन, विदाई समारोह करेंगे। हम शाम को तीन या पाँच आरतियाँ गाते हैं, और मेरी माँ पूरन पोली का विशेष भोजन तैयार करती हैं। हम विसर्जन करने के लिए बाल्टी में पानी भरते हैं। मैं सावधानीपूर्वक मूर्ति उठाती हूँ और गणपति को पूरा घर दिखाते हुए चारों ओर घूमती हूँ। मैं बाल्टी के पास आती हूं, उन्हें तीन डुबकी लगाती हूँ, और तीसरी बार, मैं मूर्ति को पानी में छोड़ देती हूँ। मैं लगभग रो देती हूँ, यह सोचकर कैसे पूरे साल भर हमारे घर में गणेश की एक बड़ी मूर्ति नहीं होगी।
रात के भोजन के बाद, मेरी माँ और मैं मूर्ति को धीरे-धीरे पानी में घुलते देखना पसन्द करते हैं और कभी-कभी डिनर के बाद वहाँ बैठकर और मूर्ति को देखते हुए रुके रहते हैं।
गणपति उत्सव मेरे पसन्दीदा उत्सवों में से एक है। यहाँ तक कि गणपति के हमारे घर में आने से पहले ही, उत्सव का माहौल होता है। यह सबसे अच्छी अनुभूतियों में से एक है, गणपति की मूर्ति को देखना, और उनकी उपस्थिति में रहना।
मुग्धा शिन्दे, जो १३ वर्ष की हैं, क्युपर्टिनो, कैलीफ़ोर्निया के क्युपर्टिनो मिडिल स्कूल में आठवीं ग्रेड की छात्रा हैं। वह अपने स्कूल के उन्नत बैण्ड में तुरही बजाती हैं और खाना बनाना और बेकिंग करना पसन्द करती हैं। mugdha.shinde29@gmail.com