Global Dharma
नये करतार महत्वपूर्ण धार्मिक गद्दी पर उनके आरोहण के दस्तावेज़ पर हस्ताक्षर करते हुए
भारत
मदुरई आधीनम नये नेता का स्वागत करते हुए
श्री ला श्री हरिहरा श्री ज्ञानसम्बन्ध देसिका स्वामीगल, जो ६७ वर्ष के हैं, उन्होंने २३ अगस्त २०२१ को मदुरै आधीनम के २९३वें पुजारी का पद एक औपचारिक कार्यक्रम के दौरान ग्रहण किया। पिछले प्रमुख, श्री ला श्री अरुणागिरिणधा श्री ज्ञानसम्बन्ध देसिका परमाचार्य स्वामीगल एक लम्बी बीमारी के बाद ७७ वर्ष की आयु में १३ अगस्त को गुजर गये। आधीनम, जिसकी स्थापना लगभग १३०० वर्ष पहले की गयी थी, दक्षिण भारत के प्राचीनतम शैव मठों में से एक है। यह बड़ी मात्रा में कृषि योग्य भूमि की सम्पदा और चार मन्दिरों का नियन्त्रण करता है और शैव सिद्धान्त दर्शन का एक केन्द्र है। नये पुजारी ने २१ वर्ष की आयु में सन्यास ले लिया था और तमिलनाडु के दूसरे आधीनमों में विभिन्न पदों पर सेवाएँ दे चुके हैं।
औपनिवेशिक काल
रॉबर्ट क्लाइव, ब्रिटेन का असाधारण लुटेरा
१८वीं सदी में भारत में ब्रिटिश साम्राज्य की नींव रखने का श्रेय रखने वाला मेजर जनरल रॉबर्ट क्लाइव को हाल में केवल अपने समय के सबसे बड़े चोर के रूप में जाना जाता है, जो भारत से इतना धन लूट कर ले गया कि वह इंग्लैण्ड का सबसे अमीर आदमी बन गया। इस पर उसके समय में भी ध्यान दिया गया था। वह १७७२ में संसद के सामने भारत से लाये गये धन की बहुत अधिक मात्रा के कारण पेश किया गया। उसने अपने कृत्यों के ईस्ट इण्डिया कम्पनी की नीति द्वारा अनुमति प्राप्त होने के रूप में बचाव किया और कहा, “मैं अपने संयम पर चकित हूँ।”
एक रत्न और स्वर्ण जड़ित फूलदान
टीपू सुल्तान के सिंहासन का हिस्सा
यूएई से प्रकाशित होने वाले ख़लीज टाइम्स के एक हालिया लेख के अनुसार, भारत से लूट का सबसे बड़ा संग्रह वेल्स में क्लाइव के पोविक कैसल में है। यह अब नेशनल ट्रस्ट ऑफ़ ब्रिटेन द्वारा शासित है, जिसने “उस सन्देहजनक रास्ते को, जिससे संग्रह को प्राप्त किया गया था और इंग्लैण्ड लाया गया था”, स्वीकार किया है। अन्य संग्रहालयों के साथ भी ऐसा ही जिन्होंने उनके संग्रह में मौजूद वस्तुएँ वहाँ तक कैसे पहुँची?
वेल्स स्थित क्लाइव का पोविस कैसल
कैसल में मौजूद १,००० वस्तुओं में एक सिंह के सिर वाला कलश है जिसमें हीरे, पन्ने और मणिक (दायें) जड़े हुए हैं जो टीपू सुल्तान के सिंहासन से है, साथ ही टीपू सुल्तान का राजकीय तम्बू भी है। लेख कहता है, “ट्रस्ट यह नोट करता है कि पोविस में, इसका प्रयोग मार्क़ी के रूप में किया जाता था, जो उन तकलीफ़देह तरीक़ों को उजागर करता था जिनसे इन वस्तुओं को औपनिवेशिक प्रभाव और हड़प कर अधीन बनाने के प्रतीक के रूप इस्तेमाल किया गया था।” सम्पत्तियों की एक समीक्षा, जिसमें से कुछ प्रदर्शित भी हैं, चल रही है।
पुरातत्व
तमिलनाडु के २,२००-वर्ष पुराने मुरुगन मन्दिर की खुदाई
२००४ में हिन्द महासागर की सुनामी ने तमिलनाडु में चेन्नई के दक्षिण में महाबलिपुरम् के पास स्थित सालुवंकप्पम में एक प्राचीन हिन्दू मन्दिर को जमीन से बाहर ला दिया, इस जगह पर पहले से ही कई प्राचीन मन्दिर थे। ट्रैवल ब्लॉग कैजुअल वाकर (bit.ly/Saluvankuppam) के एक लेख के अनुसार, पहला साक्ष्य एक पाषाण अभिलेख था जिसे लहरों ने सामने ला दिया था, जो सुब्रमण्यम मन्दिर के अस्तित्व की सूचना दे रहा था।
तमिलनाडु का प्राचीनतम: २,००० वर्ष से अधिक प्राचीन नींव की ईंटों में मुरुगा की गदा स्थित है (बीच में)। casualwalker.com
प्रारम्भ में यह माना जाता था कि मन्दिर पल्लवों द्वारा ८०० ईस्वी में ग्रेनाइट से बनवाया गया था। आगे की खुदाई में एक ईंटों की नींव प्राप्त हुई जो संगम युग, ६०० ई.पू. से ३०० ई.पू. की थी। मन्दिर का मुख्य द्वार उत्तर की ओर है, जबकि बाद के ज़्यादातर मन्दिरों का मुख्यद्वार पूरब या पश्चिम है। ऐसा लगता है कि मूल मन्दिर को लहरों द्वारा २०० ई.पू. के आसपास नष्ट कर दिया गया था, जिसे बाद में पल्लवों द्वारा फिर से बनवाया गया। यह फिर से १२१५ ईस्वी में नष्ट हो गया था,जो कि पास स्थित चट्टान पर उत्कीर्णित मन्दिर को दिये गये दान के लेखा-जोखा की अन्तिम तिथि है, और इसे फिर से सुनामी द्वारा २००४ में धरती से बाहर ला दिया गया।
चेन्नई स्थित भारत के पुरातात्विक सर्वे के कार्यालय का मानना है कि मन्दिर तमिलनाडु में खुदाई में प्राप्त सबसे पुराना सुब्रमण्य मन्दिर हो सकता है।
सबसे ऊपरी स्तर पर पतली, चौकोर ईंटें पल्लवों द्वारा लगायी गयी थीं। उसके नीचे की बड़ी ईंटें चूने के साथ जोड़ी गयी हैं और उन्हें बजरी के आधार पर रखा गया है—उसी तरह का निर्माण अन्य संगम युग के स्थलों पर मिलता है जैसे पुहार, उरैयुर और अरिक्कमेडु। उस युग की कलाकृतियाँ भी आस-पास प्राप्त हुई हैं।
मूल गर्भगृह ६ गुणा ७ फ़ीट का है और ईंट के २७ स्तरों से बना है। एक पत्थर की गदा, मुरुगन की गदा, मन्दिर के प्रवेश द्वार पर खड़ी है। यह पत्थर की गदा अज्ञात चोरों द्वारा मई २०१८ में उखाड़ दी गयी थी और दो भागों में तोड़ दी गयी थी। उसके बाद इसका पुनर्निर्माण किया गया और फ़िर से लगाया गया।
भोजन
आश्चर्यजनक रूप से शानदार बहु-कार्यात्माक नारियल का उत्सव मनाना
थाईलैण्ड के इस विक्रेता के भुने हुए नारियल (दायीं ओर) में अधिक मीठा पानी और अन्दर नरम गूदा है
२ सितम्बर विश्व नारियल दिवस है, जिसकी जानकारी हमें हाल ही में डेक्कन क्रॉनिकल के एक लेख से हुई। इस बहुमुखी फल के लिए यह सर्वाधिक योग्य सम्मान है जिसका प्रयोग पूजा, खाना बनाने, सौन्दर्य और दवाओं में किया जाता है। इसके आसपास के तन्तुओं को रस्सियां, ब्रश, आसनों, गद्दे की स्टफिंग, पॉटिंग मिक्स, और यहां तक कि कीट विकर्षक के रूप में जलाने में भी प्रयोग किया जाता है। अन्दर का सफेद गूदा तेल, आता और ग़ैर-डेयरी दुग्ध स्थानापन्न प्रदान करता है। रिपोर्ट के अनुसार, प्राचीन समय में डॉक्टर “कवच को दन्त मंजन, क्रीम और जले हुए घाव के लिए लेप बनाने के लिए जलाते थे”। यदि आपके सामने किसी मँहगे सौन्दर्य प्रसाधन की सामग्री के रूप में “कैप्रिलिक ट्राईग्लिसराइड” आये, जान लीजिये कि यह बस ग्लिसरीन के साथ मिलाया गया नारियल का तेल है।
बच्चे
मोदी खिलौने ईश्वर की मनोरंजक प्रस्तुति निर्मित करते हैं
बहनें अवनि रकार और वायरल मोदगी दोनों को चार साल पहले एक सप्ताह के अन्तराल पर बेटियाँ हुईं। दोनों ही छोटी उम्र से अमेरिका में रहीं और ऐसे गहन हिन्दू वातावरण में रहीं जहाँ भारत से उनका सम्पर्क बनाये रखना आसान प्रतीत होता था। “लेकिन,” सरकार ने mycentraljersey.com को बताया, “हम पहली पीढ़ी के भारतीय-अमेरिकी बच्चों का पालन-पोषण कर रहे हैं। हम कैसे पक्का करेंगे कि हमारे बच्चे अपनी विरासत और आस्था से जुड़े रहेंगे और उसकी सराहना करेंगे? हम उसे नहीं छोड़ना चाहते थे जो सचमुच हमारे लिए महत्वपूर्ण था, सचमुच हमारे लिए अर्थवान था, और हमारी दोहरी पहचान का बड़ा हिस्सा था।”
अपनी बेटियों के लिए: (बायें से दायें) मन्त्रोच्चारण करते हुए भगवान गणेश, कृष्ण और हनुमान अपनी-अपनी किताबों के साथ
दोनों बहनें अपनी बेटियों के जन्म से पूर्व कॉरपोरेट जगत का हिस्सा थीं। उन्हें उद्यमी बनने की उम्मीद नहीं थी, हालांकि उनके पास ऐसा करने के लिए जरूरी कौशल था। सांस्कृतिक तौर पर प्रासंगिक खिलौनों की खोज में असफल होने पर, उन्होंने तय किया कि वे खुद बनायेंगी, जिसका परिणाम सबसे पहले उनके कपड़ों से, मन्त्रोच्चार करते हुए बाल गणेश थे। अब उनके पास हनुमान और कृष्ण भी हैं। प्रत्येक के पास उसकी एक पुस्तक भी है।
बिक्री, शुरु से ही अच्छी थी, जो महामारी के दौरान बढ़ गयी। बहनों ने एक संगीत बजाने वाली पालने वाली मोबाइल, प्रसिद्ध हिन्दू महिलाओं के इतिहास और वर्तमान पर एक पुस्तक और कुछ और कपड़ों के खिलौने, जिसमें देवी सरस्वती भी शामिल थीं, जोड़ दिये। सरकार ने वेबसाइट को बताया, “हमने महसूस किया कि जिस समस्या को हमने एकदम अलग तरह की समस्या समझा था, वह हमारे लिए अलग तरह की समस्या बिल्कुल नहीं थी। लोग महसूस करते हैं कि वे अपने बच्चों को इन अन्य चीज़ों से सच में जोड़े रखना चाहते हैं, लेकिन वे उनसे यह दृष्टि भी नहीं छीनना चाहते हैं कि वे कहाँ से आये हैं और वे चीज़ें जो उन्हें वह बनाती हैं जो वे हैं — आस्था, संस्कृत, परम्परा। माता-पिता उसे संरक्षित रखना और आगे सौंपना चाहते हैं।” उनकी वेबसाइट है www.moditoys.com.
भारत
पैनसाइकिज़्म: विज्ञान चेतना की व्याख्या करने का प्रयास करता है
वैज्ञानिक अपने से गम्भीरतापूर्वक एक प्रश्न पूछ रहे हैं जिसे हिन्दू ऋषियों ने बहुत पहले ही पूछा था और सकारात्मक उत्तर दिया था: “क्या ब्रह्माण्ड में चेतना व्याप्त है?” इस शीर्षक का एक लेख जो एक प्रतिष्ठित साइंटिफ़िक अमेरिकन मॅगज़ीन् में जनवरी २०२० में प्रकाशित हुआ था, फ़िलिप गॉफ़ के साथ एक साक्षात्कार है जो बुडापेस्ट में सेण्ट्रल यूरोपियन यूनिवर्सिटी में दर्शनशास्त्र के सहायक प्राध्यापक है। नीचे उस साक्षात्कार के कुछ संक्षिप्त हिस्से हैं:
“चीज़ों के प्रति हमारे मानकीकृत दृष्टिकोण में, चेतना केवल अत्यधिक विकसित जीवों के मस्तिष्क में होती है, और इस प्रकार चेतना केवल ब्रह्माण्ड के बहुत सूक्ष्म हिस्से में और केवल हाल के इतिहास में ही रही है। पैनसाइकिज़्म के अनुसार, इसके विपरीत, चेतना पूरे ब्रह्माण्ड में व्याप्त है और यह इसका बुनियादी गुण है। इसका यह अर्थ नहीं है कि सचमुच हर वस्तु में चेतना है। मूल प्रतिबद्धता यह है कि वास्तविकता के बुनियादी संघटक—सम्भवतः इलेक्ट्रॉन लऔर क्वार्क्स—के पास अविश्वसनीय रूप से सरल रूपों में अनुभूतियाँ होती हैं। और मानव अथवा पशु मस्तिष्क की अत्यन्त जटिल अनुभूतियाँ किसी रूप में मस्तिष्क के सर्वाधिक बुनियादी भागों से व्युत्पन्न होती हैं।
चेतना को समझना: हमारे मस्तिष्क निश्चित तौर पर भौतिक दुनिया के भाग हैं, लेकिन हम अन्दर जो अनुभूति करते हैं, वह बहुत दूर तक जाती है
“यह स्पष्ट करना निश्चित तौर पर महत्वपूर्ण है कि ‘चेतना’ से मेरा आशय क्या है, क्योंकि विश्व वास्तव में बहुत ही अस्पष्ट है। कुछ लोग इसका प्रयोग कुछ बहुत ही जटिल अर्थों में करते हैं, जैसे कि आत्म-जागरूकता या स्वयं के अस्तित्व को प्रतिबिंबित करने की क्षमता। यह कुछ ऐसा है जिसे हम मानव नहीं, बल्कि पशु होने पर मानने से इन्कार कर सकते हैं, मूल कणों को छोड़ दें। लेकिन जब मैं चेतना शब्द का प्रयोग करता हूँ, मेरा आम तौर पर मतलब कई तरह के अनुभव होते हैं: आनन्द, दर्द, दृश्य या श्रव्य अनुभव इत्यादि।
“मनुष्यों के पास बहुत समृद्ध और जटिल अनुभव होते हैं; घोड़ों के पास उससे कम; चूहों के पास और कम। जैसे-जैसे हम जीवन के सरल रूपों की ओर बढ़ते हैं, हमें अनुभूतियों के और सरल रूप मिलते हैं। शायद, किसी बिन्दु पर, रोशनी बन्द हो जाती है, और चेतना ग़ायब हो जाती है। लेकिन यह मानना कम-से-कम सुसंगत होगा कि चेतना की यह निरन्तरता, जो क्षीण होती है लेकिन कभी समाप्त नहीं होती, अकार्बनिक पदार्थों तक जाती है, और मूल कणों में उनके आश्चर्यजनक रूप से सरल व्यवहार को प्रतिबिम्बित करतने के लिए लगभग अकल्पनीय रूप में अनुभूतियों के सरल रूप होते हैं। यही वह चीज़ है जिसमें पैनसाइकिस्ट्स विश्वास करते हैं।
“मस्तिष्क की हमारी वैज्ञानिक समझ में शानदार प्रगति के बावजूद, हम अभी तक इस व्याख्या की शुरुआत भी नहीं कर पाये हैं कि कैसे जटिल वैद्युतरसायन संकेतन किसी प्रकार से रंगों, ध्वनियों, गन्धों और स्वादों की हमारी आन्तरिक आत्मपरक दुनिया को जगा देती है जो हममें से प्रत्येक अपने मामले में जानता है। पैनसाइकिज़्म हमें जो पेश करता है वह चेतना को हमारे वैज्ञानिक विश्वदृष्टिकोण से जोड़ने का एक सुन्दर रूप में सरल, सुरुचिपूर्ण तरीका है, उसे बन्धन में बाँधने का जो हम अपने बारे में अन्दर से जानते हैं और जो विज्ञान पदार्थ के बारे में बाहर से बताता है।”
संक्षिप्त खबरें
यूके के शाही टकसाल ने कार्डिफ़ में श्री स्वामीनारायण मन्दिर के साथ दीपावली के सम्मान में देवी लक्ष्मी के चित्र के साथ २०-ग्राम (०.७ औंस) का सोने का बार निकालने के लिए सहकार किया है। टकसाल का कहना है कि यह बार यूके की विविधतापूर्ण सांस्कृतिक और धार्मिक परम्पराओं की विविधता और समावेशन के प्रति सतत प्रतिबद्धता को प्रतिबिम्बित करता है।
भारत में धर्मों की स्थिति पर हालिया प्यू रिपोर्ट में प्रजनन दर पर उपयोगी सामग्री आयी है। २०१५ में प्रजनन दर, जो उपलब्ध सर्वाधिक नवीनतम वर्ष का डेटा है, मुस्लिमों के लिए २.६ बच्चे प्रति महिला और हिन्दुओं के लिए २.१ था। १९५० में, पूरे भारत के लिए औसत प्रजनन दर ५.९ था। हाल के दशकों में विभिन्न देशों में दर में कमी आमतौर पर महिलाओं की शिक्षा में वृद्धि के साथ हुई है।
अयोध्या में नये राम मन्दिर के दिसम्बर २०२३ तक जनता के लिए खुलने की उम्मीद है। अक्टूबर, २०२१ में, अभियन्ता ३९ फ़ीट गहरे नींव के तल को पूरा करने वाले हैं जो लगभग ४.५ एकड़ का है, जिसमें आश्चर्यजनक रूप से १७ लाख घन गज कंक्रीट लगा है।
प्रारम्भ में अफ़गानिस्तान छोड़ने से पूरी तरह रोक दिये जाने के बाद, बहुत से सिख और लगभग सभी हिन्दू देश से चले गये हैं। पण्डित राजेश कुमार, जो काबुल में रतन नाथ मन्दिर के अन्तिम हिन्दू पुजारी हैं, ने यह कहते हुए जाने से मना कर दिया, “मेरे पूर्वजों नें सैकड़ों सालों से इस मन्दिर की सेवा की है। मैं इसे नहीं छोड़ूंगा।” काबुल में स्थित अन्य आधा दर्जन मन्दिरों की स्थिति पर रिपोर्ट नहीं प्राप्त हुई है।
कोयम्बटूर, तमिलनाडु के हिन्दू १५ जुलाई २०२१ को कुमारस्वामी नगर में सुबह-सुबह सात मन्दिरों के ढहाये जाने अचम्भित रह गये। यह ढहाये जाने की प्रक्रिया एक बड़ी विकास परियोजना का हिस्सा थीष जिसके लिए २,४०० घरों को भी गिराया गया है। कोयम्बटूर नगर निगम के अनुसार निवासियों को सबसे पहले नये घर दिये गये। समाचार की रिपोर्ट अस्पष्ट हैं कि उन मन्दिरों को दूसरे स्थान पर ले जाने के क्या प्रयास किये गये, जो कि आगम ग्रन्थों के हिसाब से सम्भव है।
ह्यूस्टन पुलिस विभाग में शामिल होने वाले नये कैडेटों को जुलाई में ग्रेटर ह्यूस्टन के हिन्दुओं तारा नरसिम्हन और रसेश दलाल द्वारा हिन्दू धर्म का परिचय दिया गया। हिन्दू दर्शन और परम्पराओं के बारे में समझाया गया जैसे घर के अन्दर जूता न पहनना। साथ ही सामाजिक और धार्मिक अवसरों में मूल्यवान गहने पहनने की प्रथा के बारे में भी बताया गया—जो ऐसी चीज़ है जिसके कारण अतीत में बेशर्मी से चोरियाँ हो चुकी हैं। यूएस और यूके के दूसरे शहरों की पुलिस ने भी इसी तरह की प्रस्तुतियों की माँग की है।