My Family’s Covid Wedding
शामिल होने वाले परिवार के आठ सदस्य (लेखिका शाइना दायें से चौथी हैं)
सहजता, सुधार और प्रेरणा ने इसे शानदार कार्यक्रम बना दिया
शाइना ग्रोवर, १६, अर्वाइन्, कँलिफ़ोर्निआ
सैकड़ों अतिथि, इतना खाना कि आप पूरी ज़िन्दगी खा सकते हैं, अनगिनत उत्सव और पालन करने के लिए परम्पराएँ, ढेर सारी सजावट और इतने फूल कि आप गिन भी नहीं सकते। जब “भारतीय शादी” की बात होती है शायद आपके मन में यही कुछ चीज़ें आती होंगी। आप शायद ऐसे बड़े टीवी की कल्पना नहीं करेंगे जिसमें लोग इसे zoom.com पर देखते हों। लेकिन असामान्य परिस्थितियाँ असामान्य प्रतिक्रियाओं को जन्म देती हैं।
अमेरिका में, हिन्दू शादी को सप्ताहांत के लिए किराये पर लिये गये किसी बड़े हाल में रखने का प्रचलन है। यह सम्भवतः आपके घर के अन्दर नहीं रखा जाता है। कोविड-१९ महामारी के दौरान, मेरे अंकल लोकेश की शादी हुई। कहाँ? मेरे आँगन में। आपको लग सकता है कि छोटी, साधारण शादी रही होगी, लेकिन आप ग़लत हैं। तीन दिन के कार्यक्रम में सभी ज़रूरी सुरक्षा के उपाय बरतते हुए और किसी भी अतिरिक्त अतिथि को बिना शामिल किये (सिवाय पुजारी के), मेरी माँ, दादा-दादी, होने वाली आंटी, अंकल, बहन और मैंने २०० अतिथियों वाली शानदारी हिन्दू शादी का अनुभव किया, हालांकि ज़्यादातर दूर थे।
दुल्हन और दुहरा मास्क पहने हुए दूल्हे ने पवित्र अग्नि के फेरे लिये
अगर यह एक उपन्यास या बॉलीवुड की फ़िल्म होती, तो यह जोड़ा दुनिया या किसी ट्रेन को बचाते समय विदेश में किसी ख़तरनाक यात्रा के दौरान मिला होता। लेकिन २१वीं सदी की महामारी की सच्चाई में, वे एक डेटिंग वेबसाइट के ज़रिये मिले। एक बार जब उनके रिश्तों में संजीदगी आ गयी, परिवार के लोग शामिल हुए। चूंकि मेरे आंटी का परिवार भारत में था और मेरे दादा-दादी यहाँ थे, परिवारों के बीच ज़्यादातर बातचीत फ़ोन पर हुई। मेरे चाचा की ओर से परिवार के लोग मेरी आंटी नेहा से मिले और उनसे अच्छे से परिचित हो गए (मैंने और मेरी बहन ने उन्हें शादी से पहली आंटी कहना शुरु कर दिया था)। क्योंकि परिवार के लोग काफ़ी पहले के ही चरण से शामिल हो गये थे, मैं इसे “सेमी-अरेंज मैरिज” कहूँगी।
हम २०१९ में ही जानते थे कि शादी जल्द ही होने वाली है, इसलिए उस साल गर्मियों में हमारी भारत यात्रा पर, हमने अपने ज़्यादातर कपड़े खरीद लिये थे—और बिल्कुल, हमने कोई भी रंग नहीं खरीद लिया था, बल्कि हमने आपस में उनका संयोजन किया था। अपने अंकल और दादा-दादी को अनगिनत बार फ़ोन करके, उन्हें भोर में चार बजे जगाकर, और बाद में तीन अतिरिक्त सूटकेस लेकर, अन्त में हमने अपने कपड़ों की मुख्य खरीदारी पूरी की। उस समय, हमें बिल्कुल यह विचार नहीं किया था कि कोविड-१९ होने वाला है, इसलिए उन सम्भावित अतिथियों के लिए हमने छोटे वापसी के उपहार और बैग भी ले लिये थे जो कँलिफ़ोर्निआ आने वाले थे—वे सभी आज हमारे गैराज में पड़े हुए हैं और किसी पार्टी में सौंपे जाने की प्रतीक्षा कर रहे हैं।
कोविड-१९ ने हमें सकते में डाल दिया था। किसी शानदार होटल के हॉल में सैकड़ों अतिथियों के बीच शादी की हमारी शुरुआती योजनायें पूरी तरह नष्ट हो गयीं। हमें अपनी योजना शुरु से बनानी पड़ी, कई रातों तक तीन बजे तक जागते हुए, सामानों की चर्चा करते हुए, समय तय करते हुए और हर दिन के सम्भावित मेन्यू पर चर्चा करते हुए—क्योंकि हमें खाना ख़ुद बनाना था। लोगों को लगता है कि ऐसे कार्यक्रम की योजना बनाना, विशेषतौर से यदि छोटे स्तर का हो, आसान है। लेकिन उस शादी के बाद, मेरे अंकल कहते हैं वे अब “शादी की योजना बनाने वाले उद्योगों का बहुत सम्मान करते हैं जहाँ वे प्रतिदिन ऐसे कार्यक्रम बड़े स्तर पर करते हैं। यह अनुभव निश्चित तौर पर हम सभी के लिए परिस्थितियों के आधार पर योजना के हर पहलु पर चर्चा करने, काम करने के लिए सामान्य से हटकर सोचने का एक पाठ बन गया था।”
शादी के हर कार्यक्रम या संस्कार में मिलते-जुलते कपड़े थे। उदाहरण के लिए, सभी ने सगाई पर गाउन (पुरुषों ने सूटः पहने, गणपति पूजा पर फूल और बनारसी साड़ी पहनी, हल्दी संस्कार पर पीले कपड़े पहने और मेंहदी के समय हरा रंग पहना। शादी के लिए, मेरी आंटी ने सुनहरी सजावट वाला एक चटख लाल रंग का लंहगा (टखनों की लम्बाई तक का स्कर्ट) लिया, और मेरे अंकल ने शेरवानी (लम्बा कोट) जिसपर सुनहरे और चटख लाल रंग की सजावट थी। मेरे माता-पिता और दादा-दादी, सभी ने सुनहरे लँहगे और शेरवानियाँ पहनीं; और आप कह सकते हैं कि वे सभी दूल्हन बन गयीं थीं। मैंने और मेरी बहन ने पैस्टल रंग की थीम को बनाये रखा जिसके साथ मेल खाते हुए अलग-अलग रंग के लँहगे थे। और हाँ, मास्क भी। सभी ने अपने कपड़ों से मिलते-जुलते मास्क समय से पहले ले लिये थे ताकि हमारी बहुत तस्वीरें खराब न लगें।
लोकेश और नेहा शर्मा दुआ की शादी की तस्वीर
मेरी होने वाली आंटी कोविड-१९ की जाँच करवाने के बाद हमारे घर १४ दिनों पहले ही अपने से लागू किये गये क्वारंटीन के लिए पहुँच गयी, ताकि हर कोई सुरक्षित रहे। वह मेरी बहन के कमरे में रुकीं, जिसमें एक बाथरूम जुड़ा हुआ था।
हम घर में अतिथियों को नहीं बुला सकें, लेकिन परिवार और दोस्तों के साथ आभासी तौर पर उत्सव मनाया। मेरी आंटी के माता-पिता और विशेष रिश्तेदार कोविड-१९ के प्रतिबन्धों के चलते अमेरिका आऩे में सक्षम नहीं थे, इसलिए हर कार्यक्रम के लिए, हमारे बैठक के कमरे से एक कम्प्यूटर लाइव-स्ट्रीमिंग की जाती थी। व्यक्तिगत तौर पर, रिश्तेदारों के लिए विडियो सेटअप एक नयी सामान्य बात बन सकती है, विशेष तौर पर भारतीय लोगों के लिए वीसा की झंझट को देखते हुए। शादी और सगाई के दौरान, हमने मेरे अंकल और आंटी के सभी दोस्तों को ज़्हूम के ज़रिये हमसे जुड़ने के लिए आमन्त्रित किया। उनकी शादी के मंडप में एक टीवी था, जिसमें सभी शामिल होने वालों के चेहर भी थे—ऐसी चीज़ जो आपको सामान्य शादियों में देखने को नहीं मिलती। मुख्य कार्यक्रमों के लिए, एक कम्प्यूटर विशेष तौर पर मेरी आंटी और अंकल के परिवार के लिए लगाया गया था ताकि हम उन्हें हर समय देख सकें। उनके दोस्त जो कार्यक्रम हो रहा था, उसके फ़ोन के कैमरे पर एक अलग सेटअप से देखते थे।
अगली बाधा सजावट थी। हम निश्चित रूप से किसी पेशेवर शादी की योजना बनाने वाले को नहीं ले सकते थे, इसलिए हमें ऐसी शानदार सजावट का तरीक़ा निकालन पड़ा जिसे लगाना और निकालना आसान हो। हमने अलग-अलग पृष्ठभूमि वाले स्टैंड लगा दिये, मंडप के लिए पर्दों, फूलों और अधिक पृष्ठभूमि वाला एक कैनोपी टेंट सजा दिया, और किनारों पर राजस्थानी छातों के साथ एक लाल कालीन बिछा दी, यह सब पूरे आँगन को एक सुन्दर दृश्य प्रदान कर रहा था। हमने बैठक के कमरे को भी सजाया और अलग-अलग अनुष्ठानों के लिए वहाँ और आँगन में आते-जाते रहे। कोविड-१९ की एक और समस्या फ़ोटोग्राफ़र की थी। हमने एसएलआर कैमरा, रिंग लाइट और एक ट्राइपॉड के ज़रिये अपना सर्वोत्तम काम किया, और मैं कहूँगी कि तस्वीरें सचमुच बहुत अच्छी आयीं।
टीवी में सगाई के समय की दुनिया भर से ज़्हूम से जुड़े लोगों की दिखाई दे रहे हैं
शादी की शुरुआत शनिवार के दिन, २८ नवम्बर को दादा-दादी द्वारा गणेश पूजा के साथ हुई। आमतौर पर जोड़े की सगाई कई सप्ताह पहले ही हो जाती है, लेकिन यह भी कोविड-१९ के कारण होने वाले एक दुर्घटना थी। इसकी बजाय हमने एक उसका एक छोटा संस्करण उस शाम को किया जिसमें अंगूठियाँ बदली गयीं, दूल्हे के माता-पिता द्वारा दुल्हन को उपहार दिये गये और परिवार और दोस्तों ने बात रखी, घर में बैठे लोगों ने और ज़्हूम से भी। पारम्परिक हल्दी संस्कार दूल्हे और दुल्हन दोने के लिए रविवार की दोपहर में किया गया, और शाम को सभी लड़कियों ने मेंहदी लगायी। आमतौर पर, आप किसी पेशेवर को लाते हैं जो हिना के रंगों से हाथों पर सजावट बनाता है, लेकिन हम किसी भी अपने घर में लाना और हमें छूने देना नहीं चाहते थे। इसकी बजाय, हमने ऑनलाइन स्टेंसिल खरीदे जिसमें हमें केवल हिना से डिजाइन भरनी थी। व्यक्तिगत तौर पर, मुझे लगता है कि यह बेईमानी है, लेकिन मैं सोचती हूँ कि हम बहुत अलग कुछ नहीं कर सकते थे।
उस शाम, हालांकि हमारे पास साथ में नाचने और गाने वाले दोस्त तक नहीं थे, हम आठों ने अच्छी पार्टी की। सबसे व्यक्तिगत या छोटा सा सामूहिक प्रदर्शन किया जिसे उन्होंने पहले ही तैयार कर लिया था, जिसमें मेरी बहन और मैं भी शामिल थे, जिसके बाद हर किसी ने संगीत पर नृत्य किया। हमारे घर में हो रही इस शादी की सुन्दरता इस बात में थी कि एक बार जब हम थक गये, तो हमने अपने कपड़े बदले और अपने रोज के पैजामों में फ़िर से नृत्य करने के लिए बैठक में पहुँच गये।
शादी का समय, जो सोमवार की सुबह देर से शुरु हुई, ही वह समय था जब किसी ऐसे आदमी ने हमारे घर में प्रवेश किया जो हमारे घर का सदस्य नहीं था। पुजारी पहुँच गये और बैठक में मेरे अंकल और आंटी के साथ शादी के पहले की सामन्य पूजा की, जिसमें घर में शान्ति के लिए प्रार्थना, सेहराबन्धी का अनुष्टान जहाँ दूल्हे की बहन (मेरी माँ) ने उसकी पगड़ी पर एक सजावटी कपड़ा बाँधा और घर की बनी नोटों की माला पहनाई (जो अन्त में वहाँ उपस्थित सबसे छोटे व्यक्ति, मेरी छोटी बहन को दी गयी)।
बचे हुए अनुष्ठान बाहर किये गये, जैसे कि हर हिन्दू विवाह में होता है, जयमाल पहनाना, शपथ लेना, हवनाग्नि के सात फेरे लेना, मंगलसूत्र पहनाना आदि। इस पूरे समय के दौरान पुजारी समेत हम सभी ने मास्क पहना था। साथ ही, अनुष्ठान के अलग-अलग भागों के समय मेरे अंकल ने सेहरा, यानि मनकों से बना हुआ मुखौटा पहन रखा था जब उन्हें दुल्हन को नहीं देखना था। सबके पास लगातार हैंड सँनिटाय्ज़र् की छोटी बोतल थी, जिससे किसी चीज़ को छूने के बाद वे सँनिटाय्ज़् कर रहे थे।
सभी गहनों के साथ, मास्क बड़ी समस्या थी। मेरी आंटी के नाक की रिंग मास्क में फँस रही थी, और सबसे बढ़ कर, गर्मी, धुएँ और पसीने ने एक घंटे तक बैठना मुश्किल कर दिया था।
एक बार जब शादी आधिकारिक तौर पर समाप्त हो गयी, तो दो चीज़ें और करनी थीं, पहला गृह प्रवेश (दुल्हन का घऱ में आधिकारिक तौर पर स्वागत) और दूसरा भोज। असल में हमने दो बार गृह प्रवेश किया—एक तो शादी के तत्काल बाद अपने घर पर, दूसरा मेरे अंकल के घर पर, जहाँ उसके ठीक बाद गाड़ी से गये। इस कठिन समय में भी, हम यह शादी कर पाये, जिसमें मैं पहली बार शामिल हुई। यह बहुत अधिक पारम्परिक नहीं थी, लेकिन फिर भी यह एक असाधारण अनुभव था। मेरी आंटी और अंकल ने मुझे बताया कि वे “बहुत खुश थे कि हमारे परिवार की मदद से वे अपने महत्वपूर्ण दिन को भारतीय परम्परा के अनुसार मना सके, हालांकि हम घर में ही पड़े रहे। एक परिवार के रूप में, हमारे जीवन का नया अध्याय शुरु करने के लिए हम सभी इस घटना को यादगार बना सके।”
मिनसोट्टा में जन्मी, शाइना ग्रोवर,जो १६ साल की हैं, वह नॉर्थवुड हाईस्कूल, अर्वाइन्, कँलिफ़ोर्निआ, में जूनियर छात्रा हैं। उनकी रुचि स्टेम् (STEM माने विज्ञान, प्रौद्योगिकी, अभियांत्रिकी, गणित ) में है और वह यात्रा करना, नृत्य करना, पढ़ना और वायलिन बजाना पसन्द करती हैं। grover.shaina514@gmail.com