Why Not Close School on Diwali
परी पासी के मई २०२१ के पेनिसिल्वानिया के एक स्थानीय स्टेशन पर दिये गये साक्षात्कार ने देश भर से लोगों का ध्यान आकृष्ट किया
पेनिसिल्वानिया के युवा हिन्दू हमारी सबसे बड़ी छुट्टी को आधिकारिक बना रहे हैं
संतना हरिहरपुत्रन, १६, इरविन, कैलिफोर्निया
मैं चाहती हूं कि लोग सोचें, कि अगर मैं होता तो कैसा होता? क्या होता अगर मुझे अपनी छुट्टी के दिन भी स्कूल या काम पर जाना पड़ता? मुझे कैसा महसूस होता?” यह पेनिसिल्वानिया की परी पासी ने ने डब्ल्यूएफ़एमज़ेड-टीवी के ६९ समाचार को मई २०२१ में दिये गये अपने साक्षात्कार में कहा, जो अपने धर्म के सम्बन्ध में स्कूल की छुट्टियों पर बात कर रही थीं। इस चिन्ता ने, और पास के जिले [साइडबार देखें] में अपने चचेरे भाई की सफलता से प्रेरित होकर, सेन्ट्रल बक्स वेस्ट हाई स्कूल की छात्रा परी पासी को दीपावली को स्कूल की छुट्टी के रूप में मान्यता प्रदान करने के लिए अभियान शुरु करने की शक्ति प्रदान की। यह वह सफल होती है, तो उसके जिले के सभी स्कूल उस दिन बन्द रहेंगे, कोई कक्षा नहीं चलेगी। हिन्दू छात्रों को पारम्परिक तौर-तरीकों से उत्सव मनाने की अनुमति मिलेगी और दूसरे लोग विश्व की प्रमुख छुट्टी के बारे में जानेंगे। दीपावली, जो हिन्दुओं का प्रकाश का त्यौहार है, यह १२ देशों में आधिकारिक राज्य अवकाश का दिन है, जिसमें फ़िजी, गयाना, भारत, मलेशिया, मारीशस, म्यानमार, नेपाल,पाकिस्तान, सिंगापुर, श्रीलंका, सूरीनाम और त्रिनिदाद आते हैं, जिसमें लगभग १ अरब ७० करोड़ लोग, या विश्व की जनसंख्या का २२% आते हैं। यह नव वर्ष के दिन (१ जनवरी), क्रिसमस और ईद-उल-फ़ितर के बाद दुनिया का चौथा सबसे प्रसिद्ध अवकाश है।
सेन्ट्रल बक्स वेस्ट हाई स्कूल
पासी व्यक्तिगत तौर पर दीपावली और इसकी परम्पराओं को मानती है, विशेष तौर पर एक शानदार दावत में परिवार के एकत्र होने को। वह कहती हैं कि भारतीय अवकाश क्रिसमस और धन्यवाद देने की अमेरिकी परम्परा के अनुरूप है—दोनों को भोज से चिन्हित किया जाता है।
फ़िर भी, दीपावली पर स्कूल बन्द हो जाना ही पासी की चिन्ता का मुख्य विषय नहीं है। अभियान कहीं ज़्यादा उसके विश्वासों को लेकर है कि “स्कूल के कैलेंडर को किसी समुदाय की बदलती हुई जनसांख्यिकी को दर्शाना चाहिए।” उसने यह भी कहा कि वह कम प्रतिनिधित्व पाने वाली, कम प्रशंसित और अनसुना कर दिये जाने जैसा महसूस करती है।
पेनिसिल्वानिया में जिला स्कूल बोर्ड को एक साल में पाँच स्थानीय अवकाश तय करने की अनुमति है, जिसमें राज्य या संघ द्वारा अनिवार्य किये गये अवकाशों से अलग हैं। सेन्ट्रल बक्स डिस्ट्रकट ने गुड फ़्राइडे, योम किप्पुर और रोश हशाना को बन्द रहने का चुनाव किया है। यदि कोई विशेष अवकाश आधिकारिक नहीं है, “सेन्ट्रल बक्स में किसी आस्था को मानने वाले विद्यार्थी धार्मिक कारणों के लिए अनुपस्थिति का क्षमा अवकाश ले सकते हैं,” पासी ने कहा।
उसे विद्यार्थियों और कर्मचारियों का समर्थन प्राप्त है, साथ ही समर्थन में स्थानीय अध्यापकों की यूनियन ने आधिकारिक बयान जारी किया है। वह कहती हैं कि इसका विरोध मुख्यतः रुढ़िवादी इसाई समुदाय से हुआ है। उसका अभियान दिवाली के न केवल उसके चचेरे भाई के जिले काउंसिल रॉक में, बल्कि पेंसबरी जिले में भी आधिकारिक छुट्टी के तौर पर स्वीकृत करने से मज़बूत हुआ है, जो दोनों पास में ही हैं।
पेनिसिल्वानिया राज्य कुल मिलाकर, प्यू रिसर्च सेंटर के अनुसार ७३% इसाई और २१% बिना किसी धर्म को मानने वालों का है। एक प्रतिशत यहूदी, हिन्दू या मुस्लिम और थोड़े ही हैं जो बौद्ध के रूप में पहचाने जाते हैं। इन आँकड़ों के साथ, कोई कह सकता है कि पेनिसिल्वानिया का स्कूल कैलेंडर इसकी धार्मिक जनसंख्या को पहले से ही दर्शाता है, क्योंकि इसाई बहुतायत में हैं। हालांकि पासी का तर्क है कि यह संख्या का मामला नहीं है, बल्कि एक समावेशी समुदाय बनाने का मामला है।”
डब्ल्यूएफ़एमज़ेड-टीवी के साथ उसके साक्षात्कार पर बहुत टिप्पणियाँ आयीं, जिसमें कुछ समर्थन में थीं और कुछ आलोचना में। एक ने कहा, “जब मैं स्कूल में था, मेरे शहर में कुछ ही छात्र थे जो यहूदी थे। यहूदी छुट्टियाँ मनाने के लिए उनके जाने में कोई समस्या नहीं थी। इसका मतलब यह नहीं था कि पाँच सौ इसाई बच्चे जा सकते थे। मान लीजिये कि हम दीपावली को स्कूल की छुट्टी का दिन बना दें, तो एक मुस्लिम बच्चा आता है और चाहता है कि सभी मुस्लिम पवित्र दिनों को स्कूल की छुट्टी का दिन घोषित कर दिया जाये। प्रत्येक धार्मिक जुड़ाव वाला प्रत्येक व्यक्ति अपने पवित्र दिनों को स्कूल की छुट्टी का दिन बनवाता है। तो इसके शिक्षा व्यवस्था का क्या होगा?”
सेंट्रल बक्स के मामले में, जिले में पहले से ही दो यहूदी छुट्टियाँ होती हैं, बावज़ूद इसके कि यहूदी छात्रों की संख्या तुलनात्मक रूप से कम है, इस तरह पिछली बात परी के पक्ष में है।
इरविन, कैलीफ़ोर्निया में, मेरे यानी लेखक के अपने जिले में हमारे पास हमारे धर्म के लिए स्कूल में छुट्टिया लेने का विकल्प है, लेकिन वह अनिवार्यतः एक अच्छा विकल्प नहीं है। एक हिन्दू जिससे मैंने अपने हाई स्कूल में बात की थी, वह अकादमिक को छुट्टियों से ज़्यादा महत्व देती है और वह छुट्टियाँ नहीं लेगी, यदि इसका मतलब किसी ज़रूरी कक्षा या परीक्षा का छूट जाना हो। “आप पूरे सैमेस्टर की सबसे महत्वपूर्ण गणित की परीक्षा के पहले छुट्टी क्यों लेंगे?” उसने दूसरे हिन्दू को चुनौती दी। भ्रमित और थोड़ा अपमानित हुए सहपाठी ने कहा, “मैंने अपने परिवार के साथ दीपावली का दिन बिताने के लिए समय लिया है।”
अपने धार्मिक रूप से सक्रिय सहपाठी से सामने होने और पेनसिलवानिया में पासी के प्रयास को सुनने के बाद, उस छात्रा का सिर्फ़ अकादमिक पढ़ाई पर केन्द्रित रहने के परिप्रेक्ष्य में कुछ बदलाव आया और उसने सोचा कि क्यों इरविन जिसा, जो सेन्ट्रल बक्स से ज़्यादा विविधतापूर्ण है, दीपावली को स्कूल छुट्टी का दिन बनाने पर विचार क्यों नहीं करता।
दीपावली की शाम को पासी अपने परिवार के साथ
इसी तरह, पासी का सामना अपने स्कूल में एक और हिन्दू छात्रा से हुआ जिसे लगता था कि एक दिन न जाने की कोई ज़रूरत नहीं थी, और दीपावली के बारे में शिक्षा बेहतर रहेगी। लेकिन ज़्यादातर हिन्दू छात्रों ने उसके प्रयास का समर्थन किया।
यह पूछने पर कि वह दीपावली के महत्व को कैसे समझाती है, पासी ने हिन्दुइज़्म टुडे को बताया, “दीपावली हिन्दुओं का सबसे बड़ा त्यौहार है, जिसे पूरी दुनिया में १.२ अरब लोग मानाते हैं। यह एक ५-दिनों का उत्सव है जो अच्छाई की बुराई पर, प्रकाश का अन्धकार पर विजय और भारत के कुछ हिस्सों में हिन्दू नववर्ष को मान्यता देता है। दीपावली, ‘जो प्रकाश का त्यौहार है,’ जो संस्कृत और तमिल शब्द से निकला है जिसका अर्थ है दीपकों की पंक्ति। जब राम, सीता और लक्ष्मण १४ वर्ष के वनवास और रावण को हराने के बात अपने घर वापस आ रहे थे, गाँव वालों ने राम के विजय का उत्सव मनाने के लिए और उन्हें वापस उनके घर का मार्ग बताने के लए रास्तों पर दिये जलाये थे, जो एक परम्परागत मिट्टी का दीपक होता है, जबकि दीपावली अमावस्या की रात को होती है।”
वह आगे सघन तैयारियों के बारे में बताती है, जिसमें मुख्य दरवाज़े के सामने और आस-पास के फुटपाथ पर बनी रंगोलियों की डिज़ाइन, घर की सफ़ाई और मरम्मत, और अस्थायी मन्दिर का निर्माण शामिल है, यह सब देवी लक्ष्मी को अपने घर में आने और परिवार को आशीष देने के लिए प्रेरित करने हेतु किया जाता है। दीपावली के दिन पर परिवार स्वयं मन्दिर जाता है और शाम को आतिशबाजी करता है। “मेरी पसंदीदा परम्परा,” पासी ने कहा , “जो मेरे परिवार और मेरे लिए व्यक्तिगत रूप से है, वह है हमारा भव्य भोजन। मेरी माँ मेरा पसंदीदा भोजन पकाती है, बहुत से पकवान जो मुझे अक्सर खाने को नहीं मिलते हैं। उन विशेष खानों को खाना और एक-दूसरे के साथ होना ऐसी यादें देता है जिनको किसी चीज़ से बदला नहीं जा सकता।”
पासी को अभी भी अपना लक्ष्य पूरा करना है और वह उसका प्रयास जारी है। उसका प्रयास स्कूल के कैलेंडर में दीपावली को जोड़ने के पक्ष में १५०० से ज़्यादा वोटों तक पहुँच गया है, और बहुत से लोगों को उम्मीद है कि यह प्रयास दूसरे जिलों तक भी फैलेगा। और फ़िर, एक गूगल सर्च बताती है कि “अमेरिका में लगभग ३१ लाख लोग दीपावली मनाते हैं”, तो इतने व्यापक रूप में मनायी जाने वाली छुट्टी अमेरिका के स्कूल के कैलेंडर में क्यों नहीं है?
काउंसिल रॉक जिले में सफलता
पेनसिल्वानिया में, परी के पास सेन्ट्रल बक्स हाई स्कूल में पूरे-स्कूल की छुट्टी घोषित करने के लिए अपने अभियान पर नज़र करने के लिए एक प्लेबुक भी है: उसके चचेरे भाई वीर साहू का इसी लक्ष्य को लेकर काउंसिल रॉक स्कूल डिस्ट्रिक्ट में सफल अभियान, जो सेन्ट्रल बक्स से मात्र १२ मील दूर है।
दि इंडियनाइट की एक रिपोर्ट के अनुसार, जो काउंसिल रॉक नॉर्थ हाई स्कूल का आधिकारिक स्कूल समाचारपत्र है, साहू पहले काउंसिल रॉक स्कूल बोर्ड की दिसम्बर २०१७ की बैठक में पहुँचे थे। रिपोर्ट के अनुसार, “उन्होंने तर्क दिया था कि प्रमुख हिन्दू त्यौहार जैसे दीपावली को स्कूल के कैलेंडर में मान्यता देना ज़्यादा समावेशी स्कूल समुदाय बनाने का एक क़दम होगा।” बोर्ड की जनवरी की बैठक तक, उन्होंने Change.org की एक याचिका पर छात्रों और समुदाय के लोगों से ४५० हस्ताक्षर एकत्र कर लिये थे। वह, उनके पिता और दो अन्य छात्रों ने बैठक में छुट्टी के पक्ष में बात रखी। वे सफल रहे। प्रस्ताव को औपचारिक रूप से फरवरी की मीटिंग के एजेंडा में शामिल किया गया, और बोर्ड ने सर्वसम्मति दीपावली को पूरे दिन की छुट्टी करने के लिए वोट दिया। निर्णय को काफ़ी स्थानीय कवरेज मिली।
साहू ने इंडियनाइट को बताया, “मैंने सीखा कि छात्रों के पास अन्तर करने की क्षमता होती है यदि वे अपने समुदाय में कुछ ऐसा देखते हैं जिसमें बदलाव करने की ज़रूरत हो। हमारे पास उससे कहीं मज़बूत आवाज़ है जितना हमारे पास दिखती है, और यह महत्वपूर्ण है कि अपनी आवाज़ सुनायी जाये, विशेष तौर पर उन विषयों के बारे में जो आप के दिल के क़रीब हैं।”
कन्याकुमारी, तमिलनाडु में जन्मी और अब ऑरेन्ज कन्ट्री, कैलीफ़ोर्निया में रहने वाली संतना हरिहरपुत्रन एक भरतनाट्यम नर्तकी हैं और श्रद्धालु हिन्दू हैं। खाली समय में, वह बहुभाषाविद बनने और एक वायलनविद बनने और चिकित्सा प्रति के अपने प्रेम के लिए काम करती हैं। उनसे यहाँ सम्पर्क करें: santhanaamhari@gmail.com